जेल मुख्यालय भोपाल बैतूल जेल से बेश कीमती सागौन की लकड़ी चोरी मामले में आखिर मौन क्यों?
जेल मुख्यालय भोपाल बैतूल जेल से बेश कीमती सागौन की लकड़ी चोरी मामले में आखिर मौन क्यों?
इतने बड़े मामले में मुख्यालय द्वारा जांच ना करवाना वरिष्ठ अधिकारियों की भी कार्यप्रणाली संदेह के कटघरे में लाती है
गली गली में शोर है बैतूल प्रभारी जेल अधीक्षक सागौन चोर है
दीपेश दुबे
9826389738
बैतूल/सारनी । जिला जेल बैतूल से 9 जुलाई को बेश कीमती 207 साल पुरानी सागौन की लकड़ी चोरी कर फर्नीचर बनवाकर घर में उपयोग कर व्यापार करने का मामला सामने आया था। जिसको लेकर हमारे द्वारा 10 जुलाई को ये मुद्दा प्रमुखता से ( बैतूल जेल की बेश कीमती सागौन की लकड़ी का फर्नीचर बनवाकर व्यापार हो रहा, जांच होना चाहिए ) समाचार प्रकाशित किया गया था।
उसके बाद भी शासकीय संपत्ति को अपना समझकर फर्नीचर बनाकर बेचने का गोरखधंधा चलाने वाले जेलर प्रभारी जेल अधीक्षक तिवारी पर जेल मुख्यालय भोपाल की ओर से कोई जांच न कार्रवाई होना कई सवालों को जन्म देने लगा है। हालांकि पूर्व में ही जेलर तिवारी ने कहा था की जेल मुख्यालय में उनका सबसे करीबी एक वरिष्ठ अधिकारी बैठा है। तब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है और यह बात बिल्कुल सच साबित भी हो रही है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जेल से सागौन लकड़ी चोरी का मामला भोपाल मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आ गया था फिर भी करीब एक माह होने को आया पर इतने गंभीर मुद्दे पर जेल मुख्यालय द्वारा संज्ञान ना लेना भोपाल में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों की लचर कार्य प्रणाली को दर्शाता है। अब इस मामले को लेकर जल्द ही कुछ लोग द्वारा मुख्यमंत्री, जेल मंत्री के समक्ष प्रस्तुत कर बैतूल जेल से लकड़ी चोर कर फर्नीचर बनवाने वाले जेलर पर सरकारी संपत्ति चोरी कर बेचने का मामला दर्ज करवाने की कार्रवाई के अलावा स्थानांतरण करवाने की मांग की बात सामने आ रही है।
अगर जांच होती है तो निश्चित ही तिवारी लकड़ी चोरी कांड का खुलासा होगा
207 साल पुरानी अंग्रेजों के जमाने में बनी बैतूल जेल में लगी बेश कीमती सागौन की लकड़ी चोरी के मामले की अगर भोपाल मुख्यालय के अधिकारी कुंभकरण की नींद से उठकर जांच करें तो निश्चित ही लाखों की लकड़ी चोरी के सबूत सामने आ जाएंगे, की तिवारी के इशारों पर किस तरह अधीक्षक बंगले के पीछे कैंपस में बने जेल पहरी अरुण के आवास के सामने रखी करीब 10 से अधिक सागौन की सिल्ली चरपट को पहरी राकेश ने दिनदहाड़े बंदियों की मदद से आईटीआई में रखवाई फिर जेल में बंद लकड़ी के कारीगरों से फर्नीचर बनाकर स्वयं एवं रिश्तेदार के घर भिजवाई गई। इतना ही नही कुछ फर्नीचर तो व्यापारी बनकर ग्राहकों को बेची गई के भी सबूत भी उजागर हो जाएंगे। खैर मामला जो भी हो लेकिन लगातार प्रभारी जेल अधीक्षक योगेंद्र कुमार तिवारी के द्वारा जेल में कई तरह की अनियमितता की गई है। जिसको लेकर बैतूल जेल प्रदेश भर में बदनामी का दाग झूल रही है। जेल मुख्यालय भोपाल के अधिकारी ईमानदारी का परिचय देते हुए अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच करें तो निश्चित ही प्रभारी जेल अधीक्षक योगेंद्र कुमार तिवारी पर ऐसी कार्रवाई होगी जो प्रदेश में यादगार बनकर उन्हें उन्ही की जेल में बंदी बनकर रहना पड़ सकता है। और हमेशा के लिए घर बैठ सकते है। अब देखना है इतना कुछ होने के बाद भोपाल जेल मुख्यालय में बैठे अन्य ईमानदार अधिकारी क्या कार्रवाई कर पाते हैं।
इनका कहना है
बैतूल जेल से सागौन की लकड़ी वाला मामला मेरे एवं मुख्यालय भोपाल के संज्ञान में है। मुख्यालय भोपाल से मामले को लेकर आदेश भी हुआ है। बाकी जानकारी से आपको बाद में अवगत करा दिया जाएगा।
संतोष सोलंकी
सर्किल जेल अधीक्षक केंद्रीय जेल होशंगाबाद