कहते हैं इश्क और जंग में सब कुछ जायज है लेकिन जनाब अब राजनीति भी एक जंग ही हो गई है, और इस राजनीति में अपने पैर जमाने के लिए तथाकथित नेता हर पैतरे अपनाने से नहीं चूकते।

माइकल दीक्षित

छतरपुर। जिले की एकमात्र आरक्षित सीट चंदला विधानसभा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है, जहां एक दलबदलू नेता दंगल के सहारे अपने राजनीतिक कैरियर के मंगल की कामना कर रहे हैं, और उसके लिए वह जगह जगह पर दंगल के आयोजन कर भीड़ जुटाकर अपने लिए समर्थन मांगते नजर आ रहे हैं।


2023 के चुनाव कि सरगर्मी चंदला विधानसभा क्षेत्र में हर तरफ नजर आने लगी हैं, आलम यह है कि भाजपा हो या कांग्रेस सभी के दावेदार अपने अपने प्रचार प्रसार के लिए लोगों को दीवारों को रंगने से नहीं चूक रहे हैं,
वर्ष 2018 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे पुष्पेंद्र अहिरवार जिन्हें 2018 में न सिर्फ करारी शिकस्त मिली थी बल्कि उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी से भी निकाल दिया गया था ,और अब अपने राजनैतिक कैरियर के लिए दल बदल कर वो कांग्रेस के पाले में आ गए हैं, और क्षेत्र में कई दंगलों का आयोजन उनके द्वारा कराया गया है, इतना ही नहीं किसी भी धार्मिक आयोजन में यह दलबदलू नेता अपनी उपस्थिति दर्शाने से नहीं चूकते, कल तक जो बहुजन समाज पार्टी की जय- जयकार करते थे अब वह कांग्रेस के पंजे का सहारा लेकर भाजपा हो या बहुजन सभी की नीतियों को कोसते नजर आते हैं ,
पिछले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी रहते हुए उन्हें जनता जनार्दन ने लगभग 25 हजार वोट दिए थे और अपना भरोसा उन्हें बहुजन समाज पार्टी के नेता के तौर पर जताया था, लेकिन अब वह वोटर जो बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा का है उसके साथ तो नेता जी ने छलावा ही किया ,हाथ के पंजे का सहारा लेकर नेताजी बड़े-बड़े दावे और वादे करते नजर आ रहे हैं,

लेकिन जनाब यह पब्लिक है जो सब जानती है ,नेताजी की कथनी और करनी में कितना अंतर है यह भी समझ रही है , दंगल के सहारे मंगल की कामना के ख्याली पुलाव पकाते हुए नेताजी चुनावी 2023 के दंगल में किस तरह के दांवपेच आजमाते हैं ,यह तो आने वाला समय ही तय करेगा, फिलहाल आप को बता दे कि लंबे अरसे से चंदला विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की सीट नहीं निकाल पाई है , और ऐसे में बाहरी प्रत्याशी होने का तमगा भी इन नेताजी पर लगा है ,अगर पार्टी इन्हें टिकट दे भी देती है तो इनके लिए यह सीट निकालना लोहे के चने चबाने जैसा होगा।