देवरी के जंगल मे हजारों पेड़ बेशकीमती पुराने पेड़ जंगल माफियाओं ने की धरासाई

महज 15 किमी दूर के जंगल की रखबाली नहीं कर पा रहा विजावर का वन अमला

राकेश सिंह

बिजावर। शासन द्वारा जंगलों को बढ़ाने और उसके संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे। समय समय पर हरियाली महोत्सव, वृक्षारोपण अभियान जैसे तमाम अभियान चलाए जाते है, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि विभाग की नाक के नीचे ही अधिकारियों की मिली भगत से जंगल काटे जा रहे हैं।जिले में वनमाफिया बड़े स्तर पर सक्रिय हो गए है। इनका आतंक इतना बढ़ गया है कि वे वन कर्मचारियों की आंखों के नीचे से बेशकीमती हरे-भरे सागौन के पेड़ों को काटकर जंगल से ले जा रहे। इसका दूसरा पहलू यह भी है आगे चलकर वह इस जमीन पर अतिक्रमण कर सकें। दरअसल इन वन माफियाओं को स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों के अलावा राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है।

 वन परिक्षेत्र बिजावर अवैध अतिक्रमण,पेड़ो की कटाई के लिए जिले भर में जाना जाता है मगर कोई ठोस कार्यवाही उच्च अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती जिसका फायदा वन परिक्षेत्र के रेंजर अशोक तिवारी उठा रहे है और महज 15 किलोमीटर देवरी के पास कलारी के जंगल की रखबाली करने में नाकाम साबित हो रहे है नतीजा रविवार की दोपहर को देखने मिला जब रेंजर अपने वन अमले के साथ देवरी के कलारी हार में ज़मीन पर डले सागौन के पेड़ की गिनडियो की गिनती करा रहे थे।मीडिया को देख रेंजर व वन अमला हैरान रह गया जंहा हजारों की तादात में बड़े छोटे पेड़ जमीदोंज पड़े थे कुछ झाड़ियों में पड़े थे जानकारी लेने पर पता चला कि ये अबैध जंगल की काटन भू माफियाओं द्वारा वन भूमि पर अतिक्रमण करने के मकसद से की गई है वही आनन फानन में रेंजर ने दो ट्रैक्टरों को बुलबाकर नीचे डली लकड़ियों को डिपो में रखबाया है जब रेंजर से इस अबैध कटाई के बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ कहने से मना कर दिया बोले हम बाइट देने के लिए अधिकृत नहीं है।मामला संदिग्ध होने के कारण अभी तक मीडिया के पास अवैध कटाई किसने करवाई है कौन कौन इसमें शामिल है ये स्पष्ट नही हो पाया है।