16 पैसे कमजोर हुआ रुपया, निवेशकों के लिए बना चुनौतीपूर्ण, डॉलर मजबूत
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सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे की गिरावट के साथ 86.87 पर बंद हुआ, जो भारी विदेशी पूंजी निकासी और डॉलर इंडेक्स में सुधार का नतीजा था। पिछले कुछ दिनों से रुपया नकारात्मक रुख में था और इसका मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में बढ़ती अनिश्चितता और विदेशी बैंकों द्वारा डॉलर की मांग थी।
विदेशी बैंकों का दबाव
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, विदेशी बैंकों द्वारा डॉलर की खरीद बढ़ी है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ा है। इसके साथ ही आयातक भी डॉलर को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें आने वाले समय में रुपये के और कमजोर होने का डर सता रहा है। इस बढ़ती अनिश्चितता के बीच रुपये में कमजोरी का रुख देखने को मिल रहा है।
शेयर बाजार का असर
रुपये की कमजोरी का एक बड़ा कारण घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट भी है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार में अतिरिक्त दबाव बन रहा है। पिछले शुक्रवार को एफआईआई ने 4,294.69 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो रुपये की कमजोरी का एक और कारण साबित हुआ।
डॉलर इंडेक्स में सुधार
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में भी सुधार हुआ, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाता है। यह 0.14 फीसदी बढ़कर 106.85 पर पहुंच गया। डॉलर की मजबूती का असर भारतीय रुपये पर पड़ा और नतीजतन रुपया 86.87 पर बंद हुआ।
तेल की कीमतों में पहले गिरावट
हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का रुपये पर असर सीमित रहा। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.12 फीसदी बढ़कर 74.83 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। इसके बावजूद रुपये की गिरावट को पूरी तरह से रोका नहीं जा सका।
आगे की राह
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में और गिरावट या भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपये को निचले स्तरों पर सहारा मिल सकता है। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी डॉलर में मजबूती के कारण रुपये पर दबाव बना रह सकता है।