5 जिलों का भविष्य बदल देगा ये मास्टरप्लान
इंदौर। मप्र के प्रमुख शहरों को मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई, बेेंगलोर जैसे महानगरों की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। खासतौर पर राजधानी भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन सिटी बनाने की कवायद चल रही है। इंदौर मेट्रोपॉलिटन सिटी का खाका तो तैयार भी हो गया है। मप्र सरकार इंदौर को मेट्रोपॉलिटन सिटी का दर्जा दिलाने के लिए तेजी से काम कर रही है। इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन का खाका तैयार हो गया है। उसमें पांच जिलों की 29 तहसीलों में आने वाले 1756 गांवों के 9336 वर्ग किमी एरिया को शामिल किया गया। इसी को लेकर इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजनल प्लान पर चर्चा के लिए गतदिनों कलेक्टर कार्यालय में अहम बैठक आयोजित की गई। इसमें इंदौर, उज्जैन, धार, शाजापुर और देवास जिलों के जनप्रतिनिधियों ने ऑनलाइन जुडक़र अपने सुझाव दिए। बैठक में इंदौर विकास प्राधिकरण ने मेट्रोपॉलिटन सिटी की योजना का प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें पांचों जिलों के शामिल हिस्सों की जानकारी साझा की गई। योजना के तहत इंदौर जिले का 100 प्रतिशत, उज्जैन का 45 प्रतिशत, देवास का 29.72 प्रतिशत, धार का 7 प्रतिशत और शाजापुर का 0.54 प्रतिशत क्षेत्र इसमें शामिल होगा। बैठक में चार जिलों के सांसद, 20 विधायक, तीन महापौर, दो नगर पालिका अध्यक्ष और चार कलेक्टरों के शामिल होने की उम्मीद थी, लेकिन कुछ जनप्रतिनिधि व्यस्तता के कारण शामिल नहीं हो सके।
इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने बैठक के बाद बताया कि प्रदेश सरकार इस योजना को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। बैठक में औद्योगिक क्षेत्र के विकास को लेकर अलग से समिति बनाने की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई। प्रस्तावों को एकत्र कर सात दिनों के भीतर प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा। साथ ही, मेट्रोपॉलिटन सिटी के लिए अलग से इंडस्ट्रियल अथॉरिटी बनाने की मांग भी रखी जाएगी। इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर का विकास प्रदेश की प्राथमिकता है। सरकार द्वारा मेट्रोपॉलिटन प्लान को जल्द से जल्द लागू करने का प्रयास किया जाएगा ताकि क्षेत्र में आर्थिक और बुनियादी ढांचे का विस्तार हो सके। अब देखना यह होगा कि प्रदेश और केंद्र सरकार इस योजना को कब तक मंजूरी देती है। यदि यह योजना साकार होती है, तो इंदौर प्रदेश का पहला मेट्रोपॉलिटन सिटी बनने की ओर अग्रसर होगा।
5 जिलों को जोडक़र प्लान तैयार
इंदौर, उज्जैन, धार, देवास और शाजापुर को मिलाकर 2051 के हिसाब से इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन (आइएमआर) का प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें कनेक्टिविटी, उद्योग और पर्यावरण संतुलन को साथ लेकर विकास होगा। क्षेत्र की औद्योगिक ईकाइयों को मजबूत करने के लिए दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर को भी शामिल गया है। सोनकच्छ को भी प्लान में रखा गया है ताकि भोपाल का मेट्रोपॉलिटन रीजन को भी इंदौर के प्लान से कनेक्ट किया जा सके। इसके लिए 3 बिंदुओं पर औद्योगिक, कनेक्टिविटी और पर्यावरण ध्यान दिया जा रहा है। रीजन में औद्योगिक क्षेत्र के विकास पर खासा फोकस किया गया है, जिसके चलते दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को जोड़ा गया। बदनावर में पीएम मित्रा पार्क के साथ धार के पीथमपुर, देवास, मक्सी के भी औद्योगिक क्षेत्र को शामिल गया है। इंदौर को आधार बनाया गया, क्योंकि यहां का एयरपोर्ट सबसे बढ़ा है। उज्जैन व धार में सिर्फ हवाई पट्टी है। इंदौर, उज्जैन, मक्सी और नागदा में रेलवे का बड़ा जंक्शन है तो सडक़ मार्ग के लिए नेशनल हाईवे व एमपीआरडीसी की सडक़ है। रीजन में पर्यावरण का ध्यान रखा गया है। वन क्षेत्र को भी जोड़ा गया है, जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स ठीक रहेगी। छोटी-छोटी नदी, तालाब जैसी जल संरचनाओं को लिया।
मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनेगी
मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके दो तिहाई सदस्य मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले नगर निगम, नगर पालिका और पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधि होंगे। इन्हें रीजन की आबादी के अनुपात के हिसाब से शामिल किया जाएगा। कमेटी को महानगर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का जनसंख्या के आधार पर बंटवारा, नियोजित विकास, जमीन के उपयोग में परिवर्तन और उपलब्ध फंड के हिसाब से योजनाएं बनाकर राज्य सरकार को भेजने का अधिकार होगा। मेट्रोपॉलिटन एरिया बनाने के लिए इसमें शामिल जिलों की अलग-अलग तहसील, निकायों का डेटा, वहां की जनसंख्या, स्थापित उद्योग, क्षेत्र की विशेषता की स्टडी होगी। पहले एक सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट बनेगा। इसके बाद वहां की भौगोलिक, आर्थिक, धार्मिक-सामाजिक स्थिति का आकलन होगा। कहां कौन सी इंडस्ट्री है, किस तरह की जरूरतें हैं, इसका भी खाका तैयार होगा। मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल सभी शहरों के लिए केंद्र और राज्य से मिलने वाला फंड एक ही बैंक खाते में संयुक्त तौर पर आएगा। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक एमओयू साइन होगा। केंद्र और राज्य से मिलने वाला फंड मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल शहरों के अनुपात में तय होगा। इसी अनुपात में विकास कार्यों के लिए राशि खर्च होगी।