ऑनलाइन की लत से चाहिए राहत? ये 5 टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं
नई दिल्ली। एक ऐसे वक्त में जब समाचार और सूचनाएं विश्व की नकारात्मक घटनाओं, संघर्ष और अस्थिरता से प्रभावित हैं, इंटरनेट मीडिया की परिवर्तनकारी प्रकृति को बनाए रखना जरा मुश्किल सा हो रहा है। जब हमने पहली बार इसका इस्तेमाल शुरू किया तो यह क्रांतिकारी और विस्मयकारी था मगर कुछ समय बाद यहां ट्रोलिंग, दुर्व्यवहार और नकारात्मक सोच वाले लोगों में वृद्धि दिखने लगी। इतना ही नहीं, फीड पर हावी होने वाले बाट्स, विवादों को प्राथमिकता देने वाले गैर-पारदर्शी एल्गोरिदम सरीखी चीजें हमारे मन की शांति और सुकून को छीनने का प्रयास शुरू करने लगीं।
पढ़ने की आदत लाएं वापस
मैं हमेशा सुनती रहती हूं कि हमारा ध्यान बिखरा हुआ है। आजकल सभी एेप, टेक कंपनियां, ओटीटी प्लेटफार्म हमारे ध्यान को आकर्षित करने की होड़ में जुटे हुए हैं। लोग यह भी कहते हैं कि अब उनके पास किताब या पूरा आलेख पढ़ने का वक्त नहीं है। हां, चीजें विचलित कर सकती हैं, लेकिन आप अपना ध्यान निश्चित रूप से वापस पा सकते हैं। मैंने पाया है कि अनुशासन और निरंतरता के साथ पढ़ने की आदत वापस पाई जा सकती है (कभी-कभी वाई फाई बंद करने से भी मदद मिलती है)।
यह सच है कि इंटरनेट की वजह से दुनिया आपकी अंगुलियों पर है। मगर जहां कई अविश्वसनीय सामग्रियां इंटरनेट पर मौजूद है वहां आप क्या देखना और सुनना चाहते हैं, कहां क्लिक करना चाहते हैं, ये सब आपके हाथ में है अथवा होना चाहिए। याद रखिए कि आपके पास एक ताकत है, जिससे आप वो कर सकते हैं जो आप करना चाहते हैं। विभिन्न प्रकार के अकाउंट फालो करें ताकि आपका सामना कई तरह के विचारों से हो। संस्कृति, समाचार और साहित्य में सर्वश्रेष्ठ उदाहरण चुनें और यह भी सुनिश्चित करें कि आप ही इसका चयन कर रहे हैं, कोई और आपके लिए ये काम न करे। सीखने या कौशल बढ़ाने के अवसरों के अलावा इंटरनेट मीडिया की एक अच्छी बात यह है कि इसकी बदौलत कम्युनिटीज बनाई जा सकती है। मैंने इसे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी पाया है। यह मेरे प्रिय विषयों में से एक है जिनके बारे में मैं लिखती हूं (पहले यह #MentalHealthTwitter था)। मुझे ये देखकर खुशी होती है कि वह कम्युनिटी अभी भी मौजूद है। इस प्रकार आप अभी भी एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं और कुछ ऐसे पोस्ट डाल सकते हैं जो बहुत अधिक सकारात्मक हों!
क्या इससे लड़ने का कोई रास्ता है
हां बिल्कुल है। सबसे पहली बात इंटरनेट मीडिया से कोई भी सामग्री लेते, देखते, पढ़ते और फारवर्ड करते वक्त सावधानी बरतें। अगर आप एक ही तरह के कंटेंट ढूंढते रहेंगे तो एल्गोरिदम आपको वही देता रहेगा। उदाहरण के लिए, अगर आप कोई नकारात्मक ब्रेकिंग न्यूज ढूंढते हैं तो आपके सामने उसी तरह की न्यूज आती रहेंगी और फिर आप मशीन को जिम्मेदार ठहराने लगेंगे। तो क्या आप समाचार न देखें? जरूर देखें, मगर हां, अगर आप पत्रकार नहीं हैं तो ये जरूरी नहीं कि हर पांच मिनट में ब्रेकिंग न्यूज चेक करते रहें। इससे आप कुछ हद तक नकारात्मक एल्गोरिदम को रोक पाएंगे। आप कुछ विश्वसनीय और गैर सनसनीखेज मीडिया अकाउंट फालो कर सकते हैं, जहां से कुछ सकारात्मक जानकारियां मिलती रहती हैं। इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बेहतर असर होगा। एक बात और, इंटरनेट मीडिया पर बिताए गए समय को नियंत्रित जरूर करें।
निरंतर स्क्रालिंग से बचें
अनंत स्क्राल’ मतलब निरंतर स्क्रालिंग के कारण एक के बाद एक वीडियो और रील आपके सामने आते हैं और आप उसमें खो जाते हैं। इस दौरान आप अपना सिर स्क्रीन से ऊपर तक नहीं उठाते और कैसे घंटों बीत जाते हैं, आपको पता तक नहीं चलता। यह आपके मन, मूड और ध्यान को भी प्रभावित करता है। यह नुकसानदायक होने के साथ-साथ ऊर्जा और समय भी बर्बाद करता है और आपको नकारात्मकता से भर देता है। इस समस्या से बचाव के लिए आपको सचेत रहना होगा। इसलिए जरूरी है मोबाइल पर एक रिमाइंडर सेट करें और डिवाइस के माध्यम से स्क्रीन टाइम सीमित करने का विकल्प चुनें। सीधी सी बात है- तकनीक से लड़ने के लिए तकनीक का उपयोग करना जरूरी है!